नोसेना द्वारा आकाश मिसाइल का सफल परीक्षण

चेन्नई में परीक्षण:

शुक्रवार 17 मई 2019 को भारतीय नौसेना ने मध्‍यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) के पहले फायरिंग अभ्‍यास के साथ ही वायु युद्ध प्रतिरोध क्षमता में महत्‍वपूर्ण सफलता हासिल की है। भारतीय नौसेना के जहाज कोच्चि और चेन्‍नई ने पश्चिमी समुद्र तट पर यह अभ्‍यास किया।

दूसरी मिसाइल का अवरोध:

अभ्‍यास के तहत विस्‍तारित दूरी वाले विभिन्‍न हवाई टारगेट को अवरोधित(इंटरसेप्‍ट) करने के लिए दोनों जहाजों की मिसाइलों को एक जहाज के द्वारा नियंत्रित किया गया। फायरिंग का यह अभ्‍यास भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और इस्रायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज के द्वारा किया गया।

इस प्रकार यह एक और मिसाइल से मिसाइल गिरने का सफल प्रयोग सिद्ध हुआ।

संयुक्त प्रयास:

अभ्‍यास का सफलतापूर्वक संचालन, सभी हितधारकों द्वारा कई वर्षों से किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है। इस्रायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज के सहयोग से डीआरडीएल हैदराबाद और डीआरडीओ ने संयुक्‍त रूप से इस मिसाइल को विकसित किया है। भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड ने एमआरएसएएम का निर्माण किया है।

जमीन से हवा में मार करने वाले इन मिसाइलों को कोलकाता वर्ग के विध्‍वंशकों में लगाया जा सकता है और भारतीय नौसेना के भविष्‍य के सभी युद्धपोतों में भी इसे इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इस सफलता के साथ ही भारतीय नौसेना उस नौसेना समूह में शामिल हो गई है, जिसके पास यह विशिष्‍ट क्षमता है। भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता अधिक प्रभावशाली हो गई है।

ज्ञात हो कि यह मिसाइल इस्राइल की बराक 8 मिसाइल पर आधारित तकनीक द्वारा निर्मित की जा रही है। हालांकि प्रेस विज्ञप्ति में नोसेना ने इस बारे मि कोई तकनीकी सूचना सांझा नही की है।

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