कांग्रेस पार्टी की आर्थिक मंदी के चलते क्या चुनाव में भी मंदी रहेगी

२०१४ का चुनाव:

काग्रेस पार्टी 2014 मैं इतिहास में सबसे कम कुल 44 सीटों पर लोकसभा में जीत कराई थी। कांग्रेस ने 2019 में एक और नया रिकॉर्ड बनाया है।

२०१९ का चुनाव:

2019 में कांग्रेस का नया रिकॉर्ड यह है कि कांग्रेस पहली बार सिर्फ 230 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ रही है। इन 230 सीटों में 80 सीटें उत्तर प्रदेश से है।

उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में 78 सीटें ऐसी हैं कि जिनमे जमानत बचाने भी मुश्किल है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस कुल 152 सीट पर ही चुनाव लड़ रही है।

इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ने की वजह क्या है? क्या यह वजह कांग्रेस की आर्थिक मंदी है? मजे की बात यह है अभी हाल में ही कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी छोड़ दी है। कहा यह जा रहा है उन्होंने पार्टी इसलिए थोड़ी जो कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया।

यह बात अलग है कि प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी पहली ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात से खंडन कर दिया उनकी नाराजगी टिकट की वजह से नहीं बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले लोगों को दंडित ना किए जाने की वजह से है।

सर्व विदित हो कि राजनीति में खंडित तथ्य सच के ज्यादा नजदीक होते हैं बजाय उनके, जिनको कभी खण्डित नहीं लिया जाता।

इतनी कम सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष किस प्रकार प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर पाएंगे?

ऐसा तभी होगा जब 152 में से सभी सीटें कांग्रेस जीत जाएं और क्षेत्रीय दल भी 120 अन्य सीटों पर जीत कर कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए तैयार हो जाए।

क्या ऐसा हो पाएगा? इसके लिए हम को 23 मई 2019 के चुनाव परिणाम का इंतजार करना पड़ेगा।

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