उच्च न्यायालय से याचिका खारिज किये जाने के बाद उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जगत सिंह रावत के किदवई नगर स्थित सरकारी आवास पर मामले का विशेष उल्लेख किया और याचिका की त्वरित सुनवाई की मांग की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ये उनके मुवक्किल के जीवन का सवाल है।
मेंशनिंग ऑफिसर ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे से निदेर्श लेकर सुनवाई के लिए ढाई बजे का समय निर्धारित किया। करीब सवा तीन बजे उच्चतम न्यायालय ने दोषी पवन गुप्ता के गैंगरेप और हत्या के वक्त नाबालिग होने के दावे वाली याचिका खारिज कर दी। इसके तुरंत बाद ही राष्ट्रपति की ओर से दोषी पवन की दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकी भी खारिज कर दी गई।
फांसी से पहले के आखिरी लम्हे
सूत्रों के मुताबिक चारों दोषियों को फांसी के लिए सुबह 3.15 बजे जगा दिया गया. हालांकि दोषी फांसी की जानकारी मिलने के बाद रातभर सो ही नहीं पाए थे. चारों को सुबह करीब 4.30 बजे चाय दी गई. दोषियों ने चाय पीने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें नाश्ते के लिए पूछा गया लेकिन उन्होंने इससे भी इनकार कर दिया. पवन जल्लाद ने चारों को काले रंग के कपड़े पहनाए. इनके हाथ भी पीछे की तरफ बांध दिए गए.
जमीन पर लेट रोने लगे दोषी
जैसे ही चारों को फांसी घर ले जाया गया तो चारों जमीन पर लेट कर रोने लगे. सभी माफी मांगने लगे. चारों दोषी आखिरी समय से जेल अधिकारियों से गुहार लगाते रहे लेकिन सभी को आगे लाकर फांसी के तख्ते पर खड़ा कर दिया गया. इसके बाद चारों के गले में फंदा डाल दिया गया. जैसे ही जेल सुपरिटेंडेंट ने इशारा किया जल्लाद ने लिवर खींच दिया.
फांसी:
निर्भया के चार दोषियों को फांसी पर चढ़ाकर मेरठ का पवन जल्लाद अपने दादा कालूराम का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कालूराम ने एकसाथ दो दोषियों को फांसी दी थी जबकि पवन ने आज एक साथ चार दोषियों को फांसी पर लटकाया है। पवन ऐसे परिवार का सदस्य है जिसकी चार पीढ़ियां फांसी देती आ रही हैं। पवन के परदादा लक्ष्मणराम अपने परिवार में जल्लाद का काम करने वाले पहले शख्स थे। उन्होंने जब जल्लादी का काम शुरू किया तब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी।
दिल्ली के जीसस मेरी कॉलेज की स्टूडेंट्स गीता चौपड़ा व उनके भाई संजय चौपड़ा की हत्या करने वाले कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला को लक्ष्मणराम के बेटे कालूराम ने फांसी पर लटकाया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और षड़यंत्र रचने वाले केहर सिंह को भी कालूराम ने फांसी पर चढ़ाया था।
कालूराम ने बाद में यह काम बेटे मम्मू सिंह को सौंप दिया। मम्मू ने आखिरी बार साल-1997 में जबलपुर के कांताप्रसाद तिवारी को फांसी दी थी। मम्मू की मौत से पहले ही दादा कालूराम ने पौत्र पवन को जल्लाद के लिए तैयार कर लिया था। पवन ने बताया कि उसके दादा ने एकसाथ दो लोगों को फांसी पर लटकाया था, लेकिन वह चार दोषियों को एकसाथ फांसी देकर यह रिकॉर्ड तोड़ेगा। 58 साल के पवन बताते हैं कि पहली बार वह आगरा जेल में 1988 में गए थे। उस वक्त रेप के आरोपी जुम्मन को फांसी देने उसके दादा गए थे।