संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुरुपयोग जागरूकता दिवस के रूप में नामित किया है।
यह वर्ष में एक दिन का प्रतिनिधित्व करता है जब पूरी दुनिया हमारे कुछ पुरानी पीढ़ियों के लिए दुर्व्यवहार, उपेक्षा और पीड़ा का विरोध करती है।
दुर्व्यवहार:
हेल्पएज के एक अध्ययन के अनुसार बुजुर्गों के साथ सामान्य दुर्व्यवहार में अपमान (56%), मौखिक दुर्व्यवहार (49%) और उपेक्षा (33%) था। मुख्य गाली देने वाले बेटे थे (57%) और बहू (38%) और दुर्व्यवहार करने वाले की औसत आयु 42 वर्ष थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में बड़े दुरुपयोग की छह प्रमुख श्रेणियां हैं: संरचनात्मक और सामाजिक, उपेक्षा और परित्याग, अनादर और उम्रवादी दृष्टिकोण, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और मौखिक दुरुपयोग, शारीरिक शोषण और कानूनी और वित्तीय दुरुपयोग आदि शामिल है।
भारत मे बढ़ती बुजुर्ग जनसंख्या:
दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत की उम्र (60+ बुजुर्गों की आबादी 20% होगी जो 2011 में 8% थी), की समस्या तब तक बढ़ जाएगी जब तक कि भारत बड़ों का सम्मान करना शुरू नहीं करता या कानून ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं करता। माता-पिता और नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम, 2007 में उनकी सुरक्षा के प्रावधान हैं और न्यायाधिकरणों को शिकायतें सुनने और बच्चों को उनके माता-पिता की देखभाल करने या 10,000 रुपये तक के मासिक भत्ते का भुगतान करने का प्रावधान है। परन्तु फैमिली कोर्ट जहाँ मुकदमो का फैसला सालों तक लटकता है, यह कोई राहत नही नही है।
आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में बुजुर्गों के लिए अपनी संपत्ति को बेचने के स्थान पर हर माह कुछ रकम मिल जाने की नई सुविधा बैंक देते है। इस तरह की उल्टा रहन या रिवर्स मॉर्गेज की सुविधाएं सभी बैंकों के पास नही है। और है भी तो व्यापक रूप से सभी भवनों के अनाधिकृत होने के कारण बुजुर्गों को यह सुविधा लेने में परेशानी ही होती है। अच्छा होता अगर संयुक्त राष्ट मात्र होंठ हिलाने की बजाय इस दिशा में कुछ प्रयास करता।