मेनका गांधी को ईमानदारी की सज़ा क्यो?

मतपत्रों का मिश्रण:

जब कागजी मतपत्रों का उपयोग किया जाता था, तो चुनाव आचार संहिता 1961 के अनुसार, मतगणना से पहले विभिन्न बूथों से मतों को मतों में मिलाने की आवश्यकता थी। इससे यह सुनिश्चित हुआ करता था कि एक छोटे से मतदान क्षेत्र से मतपत्र – सड़क, कॉलोनी, गाँव – तक सब मिला दिए जाते थे ताकि यह पता न लगे कि किस बूथ से कितने मत किसको पड़े थे।

ई वी एम के बाद:

2009 के बाद से, जब ईवीएम का राष्ट्रव्यापी उपयोग किया जाना शुरू हुआ, तो फॉर्म 20 डेटा, या पोलिंग बूथ वोटिंग डेटा, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाता है। फॉर्म 20 डेटा विस्तृत जानकारी देता है, जो सभी उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त किए गए वोटों की संख्या को बता देता है। यह जानकारी प्रत्येक ईवीएम के अंतर्गत आने वाले मतदाताओ के मताधिकार का पूरा सांख्यक डेटा उपलब्ध करा देता हैं। सिर्फ यह नही बताता की किस मतदाता ने किसको मत दिया।

सार्वभौमिक मताधिकार के साथ सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक के रूप में, भारत हर पांच साल में “इतिहास में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास” के आयोजन के लिए अपना ही रिकॉर्ड तोड़ता है। 2014 में लगभग 81 करोड़ मतदाता थे।

2019 के चुनाव में, 90 करोड़ मतदाताओं के जनादेश को दर्ज करने के लिए, 10 लाख से अधिक मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। चुनाव आयोग हर आखिरी वोट को रिकॉर्ड करने के लिए असाधारण प्रयास करता है।

मेनका ग़ांधी की स्पष्टवादिता:

मेनका गांधी ने स्पष्ट रूप से मतदाताओं को कहा वह सबसे पहले उस क्षेत्र का विकास करेंगे जहां सबसे ज्यादा मत उनको पडे। मेनका जी के अनुसार जिन्होंने उन्हें मत ही नहीं दिया उनको कुछ अपेक्षा करने की की भी जरूरत नहीं है

हो सकता है मेनका जी का शब्दों का चयन ठीक ना हो परंतु उनका मर्म राजनीति और लोकतंत्र के विपरीत नहीं कहा जा सकता।

वह लोकतंत्र जिसमें चुनाव विकास की अपेक्षाओं के आधार पर होना चाहिए, अगर मतदाता विकास की जगह अन्य मुद्दों को समर्थन देता है तो यह उसे ऐसा अपने स्वयं के विकास की कीमत पर करना चाहिए।

चुनाव आयोग ने मेनका गांधी को बचाव का कोई मौका दिया गया 48 घंटे का प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया जो कि उचित नहीं था।

मेनका गांधी ने जो कहा वह सच्चाई है जिसको हर चुना हुआ प्रतिनिधि पालन करता है। मेनका ने तो सिर्फ इमानदारी से इस सच का अवलोकन मतदाताओं को कराया।

डॉ रिजवान अहमद इसी बात को एक दूसरे तरीके से इस वीडियो में समझा रहे हैं:

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