जावेद हबीब का बालों में थूकना।

मशहूर हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब का मुजफ्फरनगर में आयोजित एक सेमिनार में एक ब्यूटी पार्लर संचालिका पूजा गुप्ता के बाल काटते हुए उसके रूखे बालों को पानी से गीला करने के स्थान पर थूक देते हैं और फिर हंसते हुए कहते हैं। “अरे! इस थूक में जान है।”

(देखे: अमर उजाला, प्रकाशित बरेली, दिनांक 07 जनवरी, 2022)

वे इस कृत्य के द्वारा मजहबियों को यह संदेश देने में कामयाब रहे कि भोज्य पदार्थों के अलावा हेयर कटिंग में भी इसका भी प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है। पर सोशल मीडिया में वीड़ियो वायरल हो जाने पर हिंदू जागरण मंच ने मंसूरपुर थाने में जावेद हबीब व अन्य दो आयोजकों के विरुद्ध प्रथम प्राथमिकी अंकित कराई।

जिसपर जावेद हबीब ने इंस्टाग्राम पर कहा कि – “मेरे सेमिनार में कुछ शब्दों को लेकर कुछ लोगों को ठेस पहुंची है। एक ही बात बोलता हूं, दिल से बोलता हूं। अगर आपको सच्ची में ठेस पहुंची है, हर्ट हुए हैं, तो माफ करो ना। सारी दिल से माफी मांगता हूं।”

पर जावेद हबीब का यह कृत्य पूर्णतया इस्लाम की भावना के सर्वथा अनुकूल है। इस्लाम में कुरान, हदीस, हिदाया और सिरातुन्नबी बुनियादी ग्रन्थ हैं। जो प्रत्येक मुसलमान को इनके अनुरूप व्यवहार करने को आदेशित करते हैं।

काफिरों के प्रति निकृष्टतम स्थाई घृणा व व्यवहार में थूक के प्रयोग को अलाउद्दीन खिलजी व काजी प्रसंग से समझा जा सकता है। बरानी ने अपने प्रलेख में लिखा – अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) ने अपने काजी से हिन्दुओं की स्थिति के बारे में पूछा।
काजी ने उत्तर दिया – “ये भेट (टैक्स) देने वाले लोग हैं और जब आय अधिकारी इनसे चांदी मांगे तो इन्हें किसी, कैसे भी प्रश्न के, बिना पूर्ण विनम्रता, व आदर से सोना देना चाहिए । यदि अफसर इनके मुंह में थूक फेंके तो इन्हें उसे लेने के लिए अपने मुंह खोल देने चाहिए। इस्लाम की महिमा गाना इनका कर्तव्य है… अल्लाह इन पर घृणा करता है, इसलिए वह कहता है, इन्हें दास बना कर रखो।”

हिन्दुओं को नीचा दिखाकर रखना एक धार्मिक कर्त्तव्य है क्योंकि हिन्दू पैगम्बर के सबसे बड़े शत्रु हैं (कुरान 8 : 55) और चूंकि पैगम्बर ने हमें आदेश दिया है कि हम इनका वध करें, इनको लूट लें, इनको बन्दी बना लें, इस्लाम में धर्मान्तरित कर लें या हत्या कर दें (कुरान 9 : 5)।

इस पर अलाउद्दीन खिलजी ने कहा, “अरे काजी! तुम तो बड़े विद्वान आदमी हो कि यह पूरी तरह इस्लामी कानून के अनुसार ही है, कि हिन्दुओं की निकृष्टता दासता और आज्ञाकारिता के लिए विवश किया जाए… हिन्दू तब तक विनम्र और दास नहीं बनेंगे जब तक इन्हें अधिकतम निर्धन न बन जाए।”

(पढ़े: तारीख-ऐ-फिरोजशाही-बरानी, ईलियट और डाउसन, खण्ड lll, पृ. 184 – 185)

विदित हो कि जावेद हबीब के दादा नजीर अहमद ब्रिटिश सरकार के बड़े अधिकारियों समेत लॉर्ड माउंटबेटन के पर्सनल हेयर ड्रेसर थे. देश आजाद होने के बाद नजीर अहमद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पर्सनल हेयरड्रेसर बन गए.


नजीर के बाद उनके बेटे यानी जावेद हबीब के पिता हबीब अहमद पंडित जवाहरलाल नेहरू के पर्सनल हेयर ड्रेसर बन गए. साथ ही वो राजमाता गायत्री देवी, ओबरॉयज, और देश के कई राष्ट्रपति के ड्रेसर रहे. इसी दौरान उनका परिवार राष्ट्रपति भवन में रहता था

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