जमानत प्रक्रिया पर जनता के सवाल:
अर्णब गोस्वामी 4 दिन से जेल में है और उच्च न्यायालय विचार कर रहा है कि उसकी याचिका पर क्या निर्णय दिया जाए। लेकिन जनता में सवाल पूछे जा रहे हैं। जैसे कि
१) सलमान खान को सजा होने के बाद अपील में केवल दो घंटे में जमानत दे दिया था। सेवानिवृत्ति के बाद उस जज साहब ने कांग्रेस पार्टी के सदस्य हो गए थे।
२) तीस्ता सीतलवाड़ को कांग्रेसी वकील कपिल सिब्बल के एक मौखिक बयान पर जज साहब ने दे दी थी जमानत। याचिका अगले दिन दाखिल की गई थी।
४) जज साहब की पत्नी गौतम नवलखा के साथ मिलकर एक्टिविज्म करती थी, इसलिए उसकी गिरफ्तारी रोकने के लिए जज साहब सुबह 6 बजे कोर्ट लगाकर बैठ गये थे।
५) पत्रकार रवीश कुमार पाण्डे के दुष्कर्म आरोपी भाई की गिरफ्तारी रोकने के लिए जज साहब को कांग्रेस के छह बड़े वकील पेश हुए, और तुरंत उसकी गिरफ्तारी रोक लगा दिया।
६) फेक न्यूज फैलाने वाले ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी नंदिनी सुंदर को हत्या मामले में अदालत तब तक गिरफ्तारी से बचाती रही, जब तक कि छत्तीसगढ़ में सरकार नहीं बदल गयी, और कांग्रेस की नवगठित सरकार ने नंदिनी पर दर्ज हत्या के मामले को निरस्त नहीं कर दिया।
७) अर्णव गोस्वामी को जब जमानत देना ही नहीं था, निचली अदालत ही भेजना था तो हाईकोर्ट ने तीन दिन तक समय बर्बाद क्यों किया?
जजों के जमानत की प्रक्रिया पर अब जनता सवाल उठा रही है। क्या जमानत देना किसी प्रकार मनमानी व्यवस्था है?
भारत सरकार को ऑस्ट्रेलिया की तरह का बेल एक्ट पारित कर मनमानी को बंद करना चाहिए।