पूर्व पालतू प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के नाम आम आदमी का एक पत्र।

आदरणीय,
डा मनमोहन सिंह जी,
पूर्व प्रधानमंत्री (भारत)

सर आपने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देश के वर्तमान हालात पर जो चिंता जताई है, उस विषय मे मैं भी आप से कुछ जानना चाहता हूं।

आपके दस वर्षों के प्रधामनंत्री के कार्यकाल में कितने ब्लास्ट हुए है और देश के कितने बेकसूर लोगों ने असमय अपने प्राण गवाए है, शायद ये आप भूल गए होंगे, मैं नही भूला!

मनमोहन कार्यकाल में मौत का तांडव:

5 जुलाई 2005 को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि ब्लास्ट,

29 अक्टूबर 2005 दिल्ली में तीन सीरियल ब्लास्ट (62 मृत)

7 मार्च 2006 बनारस के संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट (28 मृत)

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट (209 मृत)

25 अगस्त 2007 हैदराबाद ब्लास्ट (42 मृत)

13 मई 2008 जयपुर के सीरियल ब्लास्ट (63 मृत)

25 जुलाई 2008 बंगलोर, 9 सीरियल ब्लास्ट
26 जुलाई 2008 अहमदाबाद में 21 सीरियल ब्लास्ट (56 मृत)

13 सितंबर 2008 दिल्ली, 5 सीरियल ब्लास्ट (30 मृत)

30 अक्टूबर 2008 गुवाहाटी में 18 सीरियल ब्लास्ट (77 मृत)

26 नवम्बर 2008 का दुर्दांत मुम्बई हमला,
जिसमे दस आतंकियों ने 4 दिन तक मुम्बई को बंधक बनाये रखा और 164 मृत,

13 फरवरी 2010 पुणे की जर्मन बेकरी ब्लास्ट (17 मृत)

13 जुलाई 2011 मुम्बई का ज्वेलरी बाजार ब्लास्ट (26 मृत)

7 सितंबर 2011 दिल्ली का हाइकोर्ट ब्लास्ट (17 मृत)

21 फरवरी 2013 का हैदराबाद ब्लास्ट (16 मृत)

इन सबके अलावा भी और कई ब्लास्ट देश के उत्तरपूर्वी राज्यो में होते रहे, जिनका जिक्र यहाँ नही किया है!!

पाकिस्तान के सामने नतमस्तक:

सारे बम धमाके सीमा पार से आये उस टुच्चे से मुल्क पाकिस्तान के आतंकी अपने यहां के सहयोगियों की मदद से कर जाते थे, चाहे मुम्बई की लोकल ट्रेनों का धमाका हो या 26/11 का दुर्दांत हमला, चाहे सीमा पर गश्त करते देश के दो वीर जवान शहीद सुधाकर सिंह एवं शहीद हेमराज के सर काटे जाने कि घटना हो।

हम भारतवासी आपकी तरफ आशा भरी निगाहों से देखते थे कि, शायद आप कुछ कार्यवाही करेंगे देश मे इन ब्लास्ट का सिलसिला अब थमेगा, निर्दोषों की जान जानी रुकेगी, हम हर बार आपके साथ होते थे, सर आप कांग्रेस या यूपीए के नही, हम सभी भारतवासियों के प्रधानमंत्री थे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही। आप किसी हमले को रोक पाने में सदैव असमर्थ रहे!!

हर एक हमले के बाद अपने देश के निर्दोष नागरिकों को असमय मरते देख हमे भी बहुत गुस्सा आता था, हम सोचते थे कि अब सरकार कोई कड़ा एक्शन लेगी, लेकिन आप डोजियर पे डोजियर भेज के कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते थे सर!!
और उसके बाद फिर ब्लास्ट औऱ फिर देश के बेगुनाहों की असमय मौते, शायद आपकी सरकार में आम आदमी की जान की कोई कीमत नही थी सर जो आपने कभी कड़े कदम नही उठाये!!

मनमोहन सरकार का अंत:

2014 में हमे एक नया नेतृत्वकर्ता मिला जिसने हमे हमारी ताकत का अहसास कराया, उस नरेंद्र दामोदर दास मोदी की सरकार ने आते ही इन आतंकवादियों और उनके स्लीपर सेल्स की कमर तोड़ कर रख दी, जिसकी परिणीति आपको भी दिखती होगी कि, 2014 से अब तक देश के अंदर किसी सार्वजनिक स्थान पर देश के किसी आम नागरिक को निशाना बनाने की हिम्मत कोई आतंकवादी संगठन नही कर पाया, सारी एजेंसियां तो वही है सर और सारे लोग भी वही तो इतना बदलाव कैसे हुआ?

बदलाव हुआ नरेन्द्र भाई मोदी की नीति और साफ नीयत के कारण, उन्होंने इस देश के एक एक आम आदमी की जान को खुद से ज्यादा जरूरी समझ कर ठोस कदम उठाए।

जिन सीमा पार के आतंकियों को आप डोजियर पे डोजियर भेजा करते थे सर, उन सीमा पार नरेन्द्र भाई ने डोजियर भेजना बंद कर वहां सीधे सेना भेजना शुरू किया, उरी के हमलों के बाद, चाहे पुलवामा के हमले के बाद, हमारी सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से पूरी दुनिया ने हमारी ताकत देखी, हमारा लोहा माना, पूरी दुनिया ने नया भारत देखा, जो डोजियर नही भेजता सीधे अंदर घुस कर मारता है!!

कश्मीर में इस वर्ष की शुरुवात से अभी तक हमारी सेना 100 से ज्यादा आतंकियों और उनके आकाओं को जहन्नुम रवाना कर चुकी है!!

चीन पर मनमोहन चुप्पी:

अब आते है वर्तमान चीन के मुद्दे पर। ये सब आपकी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की मेहरबानी है जो 1962 के बाद से सीमाओं को आपने यूँ ही छोड़ रखा था, नरेन्द्र भाई ने उन सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वहां कई रणनीतिक पुल और हाईवे बनाये, चीन की कोफ्त का वही सबसे बड़ा कारण बना।

आप आपकी पार्टी और आपके पूर्ववर्ती नेता चीन के जिस डर से बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना जरूरी नही समझते थे, उन सीमावर्ती राज्यो के लोगो को ऐसे ही बिना किसी सुविधाओ के छोड़ रखा था, आपके वो कर्म आपके कर्तव्यहीनता की सबसे बड़ी कहानी कहते है।

चीन पर कांग्रेस का पाखंड:

38 हजार स्केवयर किमी जमीन जो कि स्विट्जरलैंड के क्षेत्रफल से भी ज्यादा है चीन को देकर और बिना कोई युद्ध किये आधा कश्मीर पाकिस्तान को परोस कर आपके जिन पूर्ववर्ती नेताओ ने खुद को भारत रत्न से नवाजा उनकी अगली पीढ़ी होने के नाते सीमा विवाद पर आपके मुंह से ये सारी बाते शोभा नही देती !

पूरी दुनिया को पता लग चुका है चीन बैकफुट पर है, हमारे जवानों ने अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए, उनकी लगभग एक कमांड निपटा डाली,
आज चीन हम से सीमा विवाद पर बार बार मीटिंग करने की गुजारिश कर रहा है, आपने लिखा है कि हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े है,
आप इतिहास छोड़कर वर्तमान में आइये सर,
और देखिए हम नया इतिहास बनाने के मोड़ पर खड़े हैं, ये 1962 वाला नही 2020 का भारत है,
जो बलिदान देना भी जानता है, और बलिदानियों का बदला लेना भी, यकीन रखियेगा किसी भी वीर हुतात्मा का बलिदान व्यर्थ नही जाएगा, ये नेहरू जी की नही नरेन्द्र भाई मोदी की सरकार है, जो देश के प्रति की गई कोई भी हिकारत न तो भूलती है, न माफ करती है!!

आप लोगो की सबसे बड़ी कुंठा का विषय ये है कि,
इस नरेन्द्र भाई मोदी की सरकार ने यहां कोरोना को भयवाह रूप लेने से भी रोक दिया और अब चीन को भी घुटनो पर ला रही है!!

अपने जारी बयान में एकतरफ आप लिखते है, यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है
लेकिन दूसरी तरफ आपकी पार्टी, और आप का युवराज चीनी प्रवक्ताओं की तरह बयान दिए जा रहे हैं, देश के साथ साथ सेना का मनोबल तोड़ने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

इसे यही रोक कर देश के साथ खड़े हो जाइये सर,
नही तो आने वाली पीढियां और इतिहास कभी भी आपको और आपकी पार्टी द्वारा की गई गद्दारी को माफ नही करेगा!!

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