कोरोनिल दवाई पर हंगामा क्यों है?

20 जून को ग्लेनमार्क फ़ार्मा ने करोना की दवाई निकाली 103 रूपेय की एक गोली 34 गोली का पत्ता 3500 रूपेय का, किसी मंत्रालय ने उसके दावे पर सवाल नहीं खड़ा किया , किसी ने उससे कोई सबूत नही माँगा की यह गोली करोना ठीक कर सकती है या नही पर जैसे ही बाबा रामदेव ने पाँच सौ रूपेय में करोना की किट निकाली सारे बुद्धिजीवी इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने लगे।

आयुष मंत्रालय जो ख़ुद इस बीमारी से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े का ज़ोर शोर से प्रचार कर रहा है वो भी तलवार भाँजने लगा।

इस घटना ने दिखा दिया की यह मंत्रालय कहने को भले ही मोदी जी और हर्षवर्धन के आधीन काम करता हो पर वास्तव में यह अंग्रेज़ी दवा कोंपनियों के इशारे पर नाचने वाली कठपुतली है।

किसी सरकारी मंत्रालय ने आज तक Fair & Lovely क्रीम बनाने वाली कम्पनी से यह दावा सिद्ध करने को नहीं कहा की उनकी क्रीम से काली लड़की गोरी हो जाती है ?

क्या उनसे इन अधिकारियों को मोटी धनराशि जो मिलती है अपना मुँह बंद रखने के लिये?

आज की तारीख़ में बाबा रामदेव की विश्वसनीयता आयुष मंत्रालय से सौ गुना अधिक है। यह दवाई बाज़ार में आने दो , जनता इसे हाथो हाथ लेगी। आयुष मंत्रालय वालों तुम देखते रहना।

‘”रामदेव बाबा “‘ को बंद करो।

करोडों रु का बिजनेस फेल करवाएगा ये बाबा। हस्पताल में 25 लाख का बिल कौन देगा ? तुम्हारा बाप ? “फेयर &लवली “से गोरे होते हैं,”साफी ” से खून साफ होता है, “रूह अफ़जह” से रूह को ठंडक मिलती है,”कोलगेट” से दांत मजबूत होते है,”डोव” से गाल मलाई बन जाते है,मगर रामदेव के “गिलोय, “अश्वगंधा, तुलसी “के अर्क से करोना ठीक नहीं होता, “WHO “को एतराज है इस पर।

सबूत चाहिए , सबूत।

“‘बाबा रामदेव”‘ यकीनन इस सारे ठग संस्थानों के लिए खतरा है, इस लिए सारे ‘”चोर उच्चक्के “‘ इस समय बाबा की दवा के पीछे पड़े है। कम से कम इस डिप्रेशन के समय मे बाबा ने सारे भारत मे गरीब जनता के चेहरे पर, मुस्कुराहट जरूर ला दी है।

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