अपने उपरोक्त त्यागपत्र में श्री सिंधिया ने कहा कि राजनीति में आने का उनका मकसद अपने राज्य और देश की जनता की सेवा करना था लेकिन कुछ समय से वह कांग्रेस पार्टी में रहते हुए भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे अतः वह अब आगे बढ़ना चाहते हैं ताकि अपने इस मकसद की पूर्ति कर सकें। यह कहते हुए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दे दिया।
सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मंगलवार शाम को पार्टी में शामिल होने की संभावना है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में श्री सिंधिया का त्यागपत्र और कांग्रेस के धुर विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी मैं शामिल होना कांग्रेस के लिए एक करारी राजनीतिक शिकस्त है परंतु उससे भी ज्यादा यह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ की शिकस्त है जिन्होंने श्री सिंधिया की कुछ समय पहले दिए जाने वाले सड़क पर उतरने के आह्वान को नजरअंदाज करते हुए उन्हें सड़क पर उतरने की चुनौती दी थी। श्री सिंधिया के साथ उनके समर्थक अन्य लगभग 18 से 20 विधायक पहले ही बेंगलुरु जा चुके हैं और श्री कमलनाथ की सरकार बिना उन विधायकों के चल नहीं सकती अता उसका गिरना भी तय है