एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को एक तत्काल घोषणा की कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक संहिता (एनआरसी) के खिलाफ गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर यूनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी (यूएमएसी) द्वारा ‘उर्दू कविता’ का आयोजन किया गया। तेलंगाना उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण इसके समय में कटौती की गई है। अदालत ने इस आयोजन में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति से भी इनकार किया। विदित हो कि राष्ट्रीय ध्वज कोई यदि फहराया जाता है तो उसे शाम को उतार के सहेज के रखना भी होता है। ओवैसी राष्ट्रीय ध्वज को शाम को फहराना चाहते थे।
UMAC ने पहले एक मुशायरा (एक सामाजिक सभा, जिसमें उर्दू शायरी पढ़ी जाती है) के लिए योजना बनाई थी, उसके बाद 25 जनवरी की रात को ध्वजारोहण किया जाना था। हैरानी की बात यह है कि ओवैसी एक खुद वकील हैं और उनको ध्वज फहराने के नियम और कानून के बारे में जानकारी ना हो ऐसा संभव नहीं है। इसके बाद भी ओवैसी ने शाम को ध्वज फहराने का निर्णय क्यों किया? इस सवाल का जवाब ओवैसी ही दे सकते हैं।
प्रदर्शनकारियों से तत्काल अपील करते हुए, असदुद्दीन ने कहा कि उन्हें आदेश की प्रति नहीं मिली थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित कर दिया था और उन्हें इस कार्यक्रम को 9.15 बजे तक समाप्त करने के लिए निर्देश दिया गय था। असदुद्दीन ने कहा कि वे अदालत के फैसले का पालन करेंगे और राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराएंगे।