झारखण्ड में भाजपा की हार।

राज्य चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)

झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन ने झारखंड में भाजपा को पांचवे राज्य में लगातार नुकसान पहुंचा दिया है। 2018 से, इसने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र को खो दिया है। (महाराष्ट्र और झारखंड दो महीने के भीतर भाजपा के हाथ से फिसल गए हैं)। जाहिर है, इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनावों में इसकी भारी जीत का राज्य स्तर पर लाभ नहीं हुआ है।

भाजपा मार्च 2018 में अपने चरम के दौरान 75% से अधिक की तुलना में अब देश के मात्र 35% भूभाग पर शासन करती है। पहले यह पूरे हिंदी भाषी हृदय क्षेत्र में सत्ता में थी। इसी अवधि में, राज्यों में भाजपा द्वारा शासित होने वाली जनसंख्या का प्रतिशत या तो अपने या अपने सहयोगियों के साथ 69% से कम होकर लगभग 43% हो गया है।

झारखंड में हार काफी बुरी रही है, यह देखते हुए कि राज्य के गठन के बाद यह पहली बार है कि यह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नहीं उभरी है, क्योंकि यह हमेशा किसी के साथ होती थी और एक बार वह झामुमो के साथ थी।

झारखंड में झामुमो और कांग्रेस ने क्रमश: 30 और 16 सीट जीती है। राजद ने 1 सीट हासिल की। साथ ही, लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में भाजपा का वोट प्रतिशत 55% से अधिक था, जो विधानसभा चुनाव में 33% तक लुढ़क गया था।

रघुबर दास मुख्य मंत्री स्वयं चुनाव हार गए और उनके सभी मंत्री भी हार गए। सरकार विरोधी लहर इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती। जनता के फैसले के अनुसार रघुबर दास की सरकार बेकार थी। रघुबर दास अपने मंत्रिमडल के बागी सरयू राय से चुनाव हार गए। इसके अलावा झारखंड में पिछले कुछ महीनों से बहुत से बागियों को पार्टी से निकाला गया है। भाजपा के लिए यह चुनाव कभी भी जीतने की उम्मीद नहीं थी पर यह चुनाव हार को शर्मनाक बनने से कम करने की दौड़ थी।

आने वाले समय में भाजपा को एक नया नेता ढूंढ कर पार्टी को राज्य में फिर से खड़ा करना होगा।

झारखण्ड के अगले मुख्य मंत्री हेमंत सरण होंगे। मिलिए उनसे:

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