विडंबना यह है कि सार्वजनिक संपत्ति जो कि करदाताओं के पैसे बनी है, उसे जनता द्वारा क्षतिग्रस्त किया जा रहा है।
पर एक मिनट क्या यह वाकई में जनता है कि यह वही घुस पैठिए है जिनको नागरिकता अभी मिली ही नहीं। अगर ऐसा है तो ऐसे लोगों को नागरिकता मिलनी भी नहीं चाहिए। कौन है यह लोग जो डरा कर नागरिकता मांग रहे हैं?
मोदी के प्रति नफरत में इस्लामवादियों को मीडिया द्वारा कुछ क्रांतिकारी के रूप में चित्रित किया जा रहा है। यह वास्तविक आपातकाल है और इन जिहादियों के और उग्र होने पर लोगों का खून पत्रकारों के सर पर होगा।
क्या यह जिहाद है?
आंतकवाद का क्या कारण है? इस वीडियो से समझिए।
क्या नागरिकता ऐसे मिलती है?
तोड़ फोड़ ओर दंगा फैलाने वालों को कोई देश नागरिकता नहीं देता। भारत क्यों ऐसा करेगा। तोड़ फोड़ करे वालों की नागरिकता की जांच सबसे पहले होनी चाहिए।
उपरोक्त चित्र में देखिए ओर सोचिए की इतने हथियार कहनब्ज आए? क्या यह एक प्रायोजित साजिश है?
सच यह है कि कोई भी संपत्ति और वाहनों के विनाश के लिए भुगतान नहीं करता है। जैसे कि रविवार को हुआ जब नागरिकता कानून और दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच झड़पों में बसों, 100 निजी वाहनों और 10 पुलिस बाइकों को आग लगा दी गई या क्षतिग्रस्त कर दिया गया। दिल्ली में नुकसान पश्चिम बंगाल में सीएए और असम में आगजनी के बाद हुई हिंसा में हुआ, जिसमें पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत के अलावा, तीन रेलवे स्टेशन, एक डाकघर और एक बैंक, कई वाहन को क्षतिग्रस्त करना शामिल थे।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में यह वीडियो जारी किया जिसमें भीड़ से अपील की गई थी कि पत्थर फेंकने वालों को अलग कर दें और उनका साथ ना दे।
नागरिकता अधिनियम में पड़ोसी देशों में सताए जाने अल्पसंख्यकों को कम शर्तों पर नागरिकता देने का प्रयास किया गया है और उनका मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। तो क्यों मुसलमान इस पर विरोध कर रहे हैं?