नागरिकता (संशोधन) विधेयक आज संसद में गृह मंत्री श्री अमित शाह पेश करेंगे:
(Citizenship Amendment Bill)
इस बिल का उद्देश्य छह समुदायों – हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी – के प्रवासी लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया कि नौ दिसम्बर से तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहें. एक सूत्र ने बताया कि व्हिप में भाजपा (BJP) के सभी सांसदों से सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है।
लोकसभा के सोमवार की कार्य सूची के मुताबिक छह दशक पुराने नागरिकता कानून (Citizenship Act, 1955) में संशोधन वाला विधेयक दोपहर में लोकसभा में पेश होगा और बाद में इस पर चर्चा होगी और फिर इसे पारित कराया जाएगा।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा। परंतु यही तर्क अनुच्छेद ३७० के हटाए जाने के संकल्प पत्र पर भी दिया गया था परन्तु वह पास हो गया।
कहते है कि सरकार के पास संख्या है और इसके “निष्क्रिय सहयोगियों” का समर्थन मिलने की संभावना है। राज्यसभा में अपने 102 सांसदों के अलावा, NDA को AIADMK (11), BJD (7), TRS (6), YSRCP (2) और NPF (1) के 27 सांसदों का समर्थन मिल सकता है। 4 मनोनीत सांसदों में से, NDA को 245-सदस्यीय राज्यसभा के 3. का समर्थन मिलने की संभावना है, वर्तमान ताकत 238 है, जिसके लिए 120 बहुमत का निशान है।
पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। इस चिंता के लिए बिल में कुछ नए प्रावधान किए गए है।
चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए कांग्रेस ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है।
सांसद में चर्चा के दौरान जिन्ना कि ११ अगस्त १९४७ के पाकिस्तान की संसद को दिए भाषण का जिक्र आ सकता है जिसमें जिन्ना ने अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में समान अधिकार देने का संकल्प लिया था पर जिन्ना की मृत्यु के बाद पाकिस्तान इस्लामिक देश बन गया जिसमें अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म किया जाने लगा। विदित हो इस वक्त भारत में पाकिस्तान की विधायिका का एक सदस्य जो सिख है भी भारत की नागरिकता मांग रहा है।
इसी प्रकार जवाहर लियाकत पैक्ट का भी जिक्र आएगा जिसमें अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने का वायदा था पर वह पूरा नहीं हुआ।