भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक बिल को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दे दी है और संभावना है कि इसे अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
उत्तर पूर्व के राज्यो पर यह लागू नहीं होगा। साथ ही ओसीआई कि शर्तों का उल्लंघन करने वाले को नागरिकता नहीं मिलेगी।
हैदराबाद के सांसद असुद्दीन ओवैसी को यह पसंद नहीं आया और उसने यह बयान दिया की “नागरिकता संशोधन विधेयक दिखाता है कि वे भारत को एक मज़हबी मुल्क़ बनाना चाहते हैं. भारत इसराइल जैसे देशों की क़तार में आ जाएगा जो कि दुनिया का सबसे ज़्यादा भेदभाव करने वाला देश है।”
आखिर ओवैसी को खतरा क्या है?
बीबीसी हिंदी ने इस खतरे को इस कार्टून के जरिए बताया है:
समझे आप।
डर यह है कि भारत की नागरिकता पाने के लिए मुस्लिम लोग हिन्दू बन जाएंगे।
यह कैसी धार्मिक अंधता है?
खास कर के जब ज्यादातर मुस्लिमों कि पूर्वजों ने मुस्लिम राजा या समुदाय के दबाव में ही मुस्लिम मजहब अपनाया था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह मुस्लिमों के ठेकेदार वह दबाव आज भी कायम रखना चाहते है। यह राजनीति है या धार्मिक दाव पेंच? फैसला आप करिए।
रिजवान भाई के विचार भी सुनिए को ओवैसी को बैरिस्टर जहिलिया कहते है: