२४ नवंबर 2019
12 और 23 नवंबर के बीच, तीनों दलों ने तीनों दलों के गठबंधन अंतिम रूप देने के लिए कई बैठकें कीं. गठबंधन का नाम, न्यूनतम साझा कार्यक्रम इत्यादि। ऐसा लगता था जैसे उन्हें विश्वास था कि भाजपा ने सरकार बनाने का विचार छोड़ दिया है।
कांग्रेस और एनसीपी भी शिवसेना को कह चुके हैं कि उनके लिए उद्धव ठाकरे ही मुख्यमंत्री के तौर पर ज्यादा स्वीकार्य होंगे। अगर सबकुछ तथा सरकार बनाना क्यों अधर में लटका हुआ था?
अफवाह यह है कि कांग्रेस ने सपोर्ट करने के लिए उपमुख्यमंत्री के पद के अलावा 100 करोड रुपए प्रति वर्ष की मांग रखी थी जिस पर बात अटकी हुई थी।
कल सुबह देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार काे शपथ दिलवाने के राज्यपाल भगत सिंह काेश्यारी ने सबको हैरत में डाल दिया।
राज्यपाल के फैसले काे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय में चुनाैती दी है। इन्हाेंने राज्यपाल के फैसले काे मनमाना और दुर्भावना से लिया गया बताया है।
मजे की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी में अभी तक अपने विधायकों की कोई बैठक नहीं करवाई है और ना ही कोई उनका नेता चुना गया है
फिर भी इन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई करने और रविवार को ही फ्लोर टेस्ट का आदेश देने की मांग की है।
तीनाें दलाें ने 8 निर्दलीयाें सहित 162 विधायकाें के समर्थन का दावा किया है।
सुप्रीम काेर्ट में तय समय से पहले भी बहुमत परीक्षण का आदेश देने का अधिकार है और अक्सर ऐसे मामलों में उच्चतम न्यायालय जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया करती हैं।कर्नाटक के मामले में भी काेर्ट ने ऐसा आदेश दिया था।
हालांकि यदि शिवसेना व कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर शपथ ग्रहण को चुनौती दे भी देते हैं कि एनसीपी ने उन्हें धोखा दिया है तो भी उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी।
उच्चतम न्यायालय में भाजपा नेता देवेंद्र फडनवीस के शपथ ग्रहण समारोह को चुनौती दे भी दी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट इस विवाद को निपटाने के लिए फ्लोर टेस्ट का ही आदेश करेगा।
कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना का आज ही फ्लोर टेस्ट का अनुरोध कोर्ट में अस्वीकार
सर्वोच्च न्यायालय कल तक जवाब देने के लिए सभी पक्षों को आदेश दिया है और आज किसी अंतरिम आदेश को पारित करने से इंकार कर दिया है।