पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त तिरुनेलई नारायण अय्यर शेषन का रविवार को चेन्नई में उनके आवास पर निधन हो गया।
उन्हें अगले महीने 87 साल का होना था। तमिलनाडु कैडर के 1955 बैच के आईएएस अधिकारी शेषन ने 1989 में भारत के कैबिनेट सचिव और इससे पहले ISRO के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में विभिन्न क्षमताओं में वरिष्ठ नौकरशाह के रूप में कार्य किया।
हालाँकि, वह 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 12 दिसंबर, 1990 से 11 दिसंबर, 1996 के कार्यकाल के लिए ज्यादा याद किए जाते है।
श्री सेशन भारत की चुनाव प्रणाली के शिल्पकार थे। उन्होंने भारत में पूर्णतया निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव कराने की नींव डाली थी। इससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा मिली थी।
ऐसे समय में जब राजनेताओं द्वारा आदर्श आचार संहिता का अक्सर उल्लंघन किया जाता था, शेषन ने चुनाव नियमों के उल्लंघन में अनुशासन की भावना को उल्लंघनकर्ताओं पर नियम पुस्तिका दिखाकर पटरी पर लायी थी।
यह उन्हीं के चुनाव सुधारों के कारण आज सरकारें बदलती दिख रही है। विदित हो कि शेषण के पहले जब तक प्रचंड विपरीत लहर ना चल रही हो तब तक कोई भी पार्टी चुनाव नहीं हारती थी। श्री सेशन के चुनाव सुधारों के बाद लगभग २५ साल तक कोई भी एक पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में नहीं आई। यह चुनाव सुधारों के कारण ही था। चुनाव की दलिया बंद होने के कारण लोगों का विश्वास चुनाव में बड़ा और मतदान का प्रतिशत जो लगभग 50% था बढ़कर कई स्थानों पर 80% तक पहुंच गया।
दुर्भाग्य से विशेषण को देश में को मान्यता नहीं मिली जिसके वह हकदार थे। लगभग सभी राजनीतिक दलों से उनके संबंध अपने कार्यकाल की वजह से अच्छे नहीं रहे इसी वजह से उन्हें किसी बड़े पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया जबकि उनका भारत की चुनाव प्रणाली में अमूल्य योगदान था।
उनका एक वाक्य हमेशा याद रखने योग्य है “अच्छी सरकार सिर्फ संयोग से नहीं बनती है।”
उनका विचार स्पष्ट था स्वस्थ चुनाव प्रणाली से ही स्वस्थ सरकार का गठन हो सकता है।