तीन तलाक़ विधेयक 2019 30 जुलाई 2019 को राज्य सभा से भी पारित हो गया है।भारत में तिहरा तलाक़ या तीन तलाक़ वह कुप्रथा है जिसमें कोई मुसलमान पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार “तलाक़” बोलकर, लिखकर या किसी इलेक्ट्रानिक रूप में भेजकर उससे विवाह-सम्बन्ध-विच्छेद (तलाक़) कर लेता था।इस्लाम में दो तरह के तलाक़ के बारे में ज़िक्र है। पहला तलाक़ अल सुन्नाम, जिसे पैग़ंबर मोहम्मद के हुक्म के मुताबिक़ किया जाता है। जबकि दूसरा, तलाक़ अल बिद्दत, जिसे बाद में ईजाद किया गया। क़ुरआन में सीधे तौर पर तीन तलाक़ का कोई ज़िक्र नहीं है और ना ही पैग़ंबर मोहम्मद ने इसके बारे में सीधे तौर पर कुछ कहा है।भारतीय उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को दो साल पहले ही असंवैधानिक वा गैर इस्लामी करार से दिया था। परन्तु इसके बाद भी ऐसे तलाक हो रहे थे। इस कानून में ऐसे तलाक देने वालों तो 3 साल की सजा का प्राविधान है।
केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह ने कहा मुस्लिम बहनों को तीन तलाक के अभिशाप से मिली मुक्ति।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा आज एतिहासिक दिन है, मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आशा और सम्मान के एक नए युग का प्रारंभ
मोदी सरकार महिला सशक्तीकरण और महिला अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है – श्री अमित शाह
श्री अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक़ विधेयक 2019 पारित होने से मुस्लिम महिलाओं के लिए असीम संभावनाओं के द्वार खुलेंगे जिससे वे न्यू इंडिया के निर्माण में प्रभावी भूमिका अदा कर सकेंगी। उनका कहना था कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को सुनिश्चित करने और उसे अक्षुण्ण रखने के लिए उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।
श्री शाह ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार महिला सशक्तीकरण और महिला अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है और तीन तलाक़ पर बैन इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आगे कहा कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आशा और सम्मान का एक नया युग लाएगा। श्री अमित शाह ने ट्रिपल तलाक बिल के पारित होने पर देश भर की मुस्लिम बहनों को तीन तलाक के अभिशाप से छुटकारा मिलने पर बधाई दी तथा संसद में बिल के समर्थन पर सभी सदस्यों का आभार जताया।श्री शाह ने यह भी कहा कि भारतीय लोकतंत्र के लिए आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के इस ऐतिहासिक निर्णय से मोदी सरकार ने देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप बने तीन तलाक से उन्हें मुक्ति देकर समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।अब यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा और मंजूरी मिलते ही कानून बन जाएगा।
विदित हो कि प्रगतिशील मुस्लिम जैसे की आरिफ मुहम्मद खान इस कानून का समर्थन करते है पर रूढ़िवादी मुस्लिम इसका विरोध कर रहे थे। पर सरकार ने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के रूप में पास कर के कानूनी जमा पहना ही दिया।
इस विधि के बनने के पश्चात आरिफ मुहम्मद खान साहिब से टैग टीवी का साक्षात्कार देखिए जिसमें उन्होंने इसकी पूरी राजनीति समझाई है: