अमेरिका में इमरान खान:
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश के पहले प्रधान मंत्री होंगे जो दोनों प्रमुख सैन्य कमांडर के साथ व्हाइट हाउस पहुचेंगे।
इमरान खान 21 जुलाई को कतर एयरवेज की एक साधारण कमर्शियल फ्लाइट से वाशिंगटन पहुचे। अमेरिका ने उन्हें कोई प्रोटोकॉल नही दिया और किसी अमेरिका के अधिकारी ने उन्हें एयरपोर्ट पर स्वागत भी नही किया। वह मेट्रो में बैठ कर अपने दूतावास पहुचे। देखे:
बलूच युवाओं के एक समूह ने यहां एक इनडोर स्टेडियम में प्रधानमंत्री इमरान खान के संबोधन के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ और एक स्वतंत्र बलूचिस्तान के पक्ष में नारे लगाए।
इमरान खान ने अपने प्रवासी लोगो के सर्च पाकिस्तान के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव पर जोड़ दिया। ताकि उनके धन प्रेषण में वृद्धि हो सके, जो कि वित्त वर्ष 2019 में 3.13 बिलियन डॉलर थी। यह वित्त वर्ष 2018 में मिले 2.7 बिलियन डॉलर से थोड़ा बेहतर है।
यह भी पहली बार है जब कोई पाकिस्तानी पीएम अमेरिका के लिए एक द्विपक्षीय यात्रा के लिए एक वाणिज्यिक एयरलाइन पर उड़ान भरी। इमरान खान ने कतर के एयरवेज में सवार होने का विकल्प चुना, तो दोहा, कतर में एक स्टॉपओवर के साथ, जहां एयरलाइन के सीईओ अकबर अल बेकर ने उनकी मेजबानी की।
इमरान खान, अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के आधिकारिक निवास पर रुके हुए हैं, जो नकदी-संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के लिए लागत में कटौती करने के लिए है। पूरी यात्रा के लिए 60,000 डॉलर खर्च किए जाने की उम्मीद है, जबकि पाकिस्तान के पीएम ने पिछली बार 2015 में जब अमेरिका का दौरा किया था, उस दौरान 460,000 डॉलर खर्च किए गए थे। तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पीएम नवाज शरीफ की मेजबानी की थी।
इमरान ख़ान के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर बाजवा और आईएसआई प्रमुख भी अमरीका पहुंचे हैं.
ट्रंप के साथ मुलाक़ात में इमरान ख़ान ने कहा, “मैं अपने साथ अपनी सेना के प्रमुखों को भी लाया हूं क्योंकि ज़ाहिर तौर पर हमें सुरक्षा हालातों से भी निपटना है. और हम दोनों देशों के बीच आपसी समझ बनाना चाहते हैं.”
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कश्मीर में भारत पाकिस्तान की मध्यस्थता की पेशकश भी की। पर हमेशा की तरह भारत ने नकार दिया कि ऐसी कोई संभावना भी है। एक अमरिकी सांसद ने भी ट्रम्प के बयान की भर्त्सना की है और उन्हें विदेशनीति में अनाड़ी बताया है। देखे:
अफगानिस्तान एक मुश्किल जगह है। वहाँ 125 साल से, पहले ब्रिटैन फिर रूस और अब अमेरिका शांति स्थापित करने की कोशिश करते रहे है पर नाकाम हुए है। अब राष्ट्रपति ट्रम्प अपनी फौजों को अफगानिस्तान से निकलना चाहते है। इमरान खान से वार्ता का यही मुख्य बिंदु हो सकता है। पाकिस्तान के लिए हमेशा की तरह राष्ट्रपति ट्रम्प से आर्थिक मदद की बहाली की उम्मीद है।
पर यह बड़ी दिलचस्प उम्मीदे है। अफगानिस्तान में समस्या की जड़ ही पाकिस्तान और उसके समर्थित तालिबान है। उनसे यह आशा करना कि वह अफगानिस्तान में शान्ति स्थापित होने देंगे वैसा ही है जैसे कि कही आग लगी हो और उससे यह उम्मीद की जाए कि वह फैलेगी नही ओर अपने आप बुझ जाएगी।
यह भारत के लिए एक चिंता का विषय है जिसने कई बिलियन डॉलर का निवेश अफगानिस्तान में किया हुआ है परन्तु उसे इस वार्ता से हमेशा बाहर रखा जा रहा है।