भारत के इसरो द्वारा चंद्रयान 2 सफलता पूर्वक प्रछेपित।

चंद्रयान-२ या द्वितीय चन्द्रयान, भारत का चंद्रयान-1 के बाद दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन ने विकसित किया है।

आज दिनांक 22 जुलाई 2019 को दोपहर2 बजकर 43 मिनट पर सफलता पूर्वक प्रछेपित कर दिया गया।

अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल होंगे।

चंद्रयान-2 चांद के साउथ पोल पर उतरेगा।

चंद्रयान 48 दिन बाद चंद्रमा के चक्कर लगा कर 2 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। जहां पर विक्रम लैंडर प्रज्ञान नामक वहां को उतरेगा जो चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक खोजबीन करेगा और पृथ्वी पर इसरो को भेजेगा।

लिखे जाने तक रॉकेट ने चंद्रयान को चंद्रमा की ओर अग्रसरित कक्षा में स्थापित कर दिया था। चंद्रयान अब चांद की ओर बढ़ रहा है।

जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट में अब ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए छह अलग-अलग बर्न होंगे। पांच पृथ्वी से चलने वाले अभ्यास अलग-अलग तिथियों में आयोजित किए जाएंगे, जब तक कि उपग्रह की कक्षा में लगभग 1 लाख 44,000 किमी का एक अपोजी नहीं बनेगा। फिर 14 अगस्त को, पहला ट्रांसपेरर बर्न आयोजित किया जाएगा, और पांच दिन बाद एक चंद्र बर्न के बाद, सिस्टम 20 अगस्त को एक चंद्र कक्षा में होगा। यह अंतिम चंद्र ऑर्बिट नहीं होगा। वास्तव में, चार और चंद्र चक्रों में, उपग्रह को 1 सितंबर को अपनी अंतिम चंद्र कक्षा में रखा जाएगा।

चंद्रयान-2 के साथ जीएसएलवी-एमके तृतीय को इससे पहले 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे प्रक्षेपित किया जाना था. हालांकि प्रक्षेपण से एक घंटा पहले एक तकनीकी खामी के पाए जाने के बाद प्रक्षेपण स्थगित कर दिया गया था. चंद्रयान-2 परियोजना लगभग 978 करोड़ रुपये की है. इसरो ने बाद में 44 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) की खामी को दूर कर दिया. देरी से भेजे जाने के बावजूद चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर पहले की योजना के मुताबिक छह सितंबर को ही पहुंचने का अनुमान है।

चंद्रयान -2 का लक्ष्य चंद्र के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक सतह लैंडिंग का पहला मिशन बनना है, जहां यह चंद्रमा की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करेगा। यह भारत का चंद्रमा पर पहला धरातल पर उतरना होगा – एक उपलब्धि जो पहले केवल रूस, अमेरिका और चीन ने हासिल की थी।
कुल बजट $ 141m (£ 113m) का मिशन भारत की अंतरिक्ष शक्ति के बढ़ते परिष्कार का प्रदर्शन है।

विदित हो कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खोजी वाहन उतारने वाला भारत पहला देश है।

चन्द्रयान-2 के लांच पर प्रधानमंत्री का संदेश:

चन्द्रयान-2 को लांच करने के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संदेश का मूलपाठ इस प्रकार है –

“विशेष पल जो हमारे गौरवशाली इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है! चन्द्रयान-2 के लांच से विज्ञान में नई ऊंचाइयां छूने के लिए हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता और 130 करोड़ भारतीयों की प्रतिबद्धता प्रकट होती है। आज हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा है!

हृदय से भारतीय, भावना से भारतीय! हर भारतीय के लिये प्रसन्नता का विषय है कि चन्द्रयान-2 पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है। चन्द्रमा के धरातल का विश्लेषण करने के लिए चन्द्रयान-2 में चन्द्रमा के संबंध में दूर संवेदन के लिए एक आर्बिटर तथा लैंडर – रोवर मॉड्यूल होगा।

चन्द्रयान-2 इसलिए विशिष्ट है, क्योंकि यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र का अध्ययन और जांच करेगा, जहां अभी तक कोई खोज नहीं हुई थी। इस क्षेत्र से पहले नमूने भी कभी नहीं लिये गए। इस मिशन से चन्द्रमा के बारे में नई जानकारियां मिलेंगी।

चन्द्रयान-2 जैसे प्रयासों से हमारे प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और नवाचार के प्रति प्रोत्साहन मिलेगा। चन्द्रयान को धन्यवाद, भारत के चन्द्र कार्यक्रम को बहुत बढ़ावा मिलेगा। चन्द्रमा के बारे में हमारे मौजूदा ज्ञान में बहुत वृद्धि होगी।”

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