आपातकाल की 44वीं सालगिरह जो तानाशाह इंदिरा की देन थी।

कलुषित गंगा मैया:

कल अधीर रंजन चौधरी, जो कांग्रेस के लोक सभा मे नेता है, बता रहे थे कि इंदिरा गांधी, गंगा मैया है।शायद वह 2014 की कलुषित गंगा मैया की बात कर रहे थे जिसमें नालों ओर टेनरीओ का गंदा पानी बहता था।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था।

आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। देश को एक जेलखाना बना दिया गया था। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदीअभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा था।

इमर्जन्सी के दौरान लाखों लोगों की ज़बरन नसबंदी कर दी गई थी। सैकड़ों विपक्षी नेता जेलों में ठूँस दिए गए। नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए। प्रेस का गला घोंट दिया गया था।कुछ बातें, आपको इमरजेंसी के बारे में जानना चाहिए:
1) इंदिरा गांधी को चुनावी धोखाधड़ी का दोषी ठहराया गया था।
2) धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद अवैध रूप से संविधान में डाला गया जबकी विपक्षी नेता जेल में थे।
3) इंदिरा गांधी की रिहाई की मांग करने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान को अपहृत किया गया था। अपहरणकर्ताओं को बाद में सांसद आदि बनाया गया था।

पत्रकार कूमी कपूर का कहना है कि इमरजेंसी लगाने की योजना जनवरी में ही बननी शुरू हो गई थी। ऐसा उन्होंने सिद्धार्थ शंकर रे के एक पत्र के आधार पर दावा किया है।

जो भी हों इंदिरा गांधी का अहम अद्वितीय था। उसके अनुसार इंदिरा के अलावा देश मे किसी को कोई निर्णय लेने के काबिल नही था। यह आकृति इंदिरा की मनोस्थिति का सही विवरण है:

कुछ लोगों का अहंकार इतना बड़ा होता है कि उसे उठाने के लिए भी मदद चाहिए होती है।

इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है। 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही। लगभग एक लाख लोगों को जेल में डाला गया था उन्हें इसके बाद रिहा कर दिया गया और फिर चुनाव कराए गए जिसमे इंदिरा की करारी हार हुई।

यह अलग बात है कि 1977 के चुनाव में मिली 153 सीटों की हार कांग्रेस की 2014 की 44 और 2019 की 52 सीटों की हार के आगे कुछ भी नही है।

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