दक्षिण एशिया में क्या अब ब्रह्मोस का साम्राज्य होगा?

ब्रह्मोस का परिचय:

ब्रह्मोस एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाजों, विमानों, या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह रूसी संघ के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिन्होंने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन किया है। यह रूसी पी -800 ओनिकस क्रूज मिसाइल और अन्य समान सी-स्कीमिंग रूसी क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस नाम दो नदियों, भारत के ब्रह्मपुत्र और रूस के मोस्कवा के नामों से बना है।

ब्रह्मोस और सुखोई:

ब्रह्मोस मिसाइलों का घातक संयोजन दुश्मन की रेखाओं के पीछे 3,000 किमी / घंटा की गति से घुसता है, जो सुखोई Su-30 MKI के विमान से लॉन्च किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइल 2,100 किमी / घंटा की गति से उड़ान भरती है, जिससे भारतीय वायु सेना अति सक्षम हो जाएगी। बालाकोट को आतंकवाद रोधी अभियानों की तरह ले जाना, जबकि भारतीय क्षेत्र में कम से कम 150 किमी की दूरी पर रहते हुए। इसकी रफ्तार यूं समझे कि लगभग एक किलोमीटर प्रति मिनट। इतनी तेज होने के कारण दुनिया मे इसकी कोई काट नही है। अमेरिका की thad ओर पेट्रियट व रूस की S400 भी नही रोक सकती इसे।

भारतीय वायुसेना लगातार अपने सुखोई 30 MKI एयर श्रेष्ठता सेनानियों के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की फिटिंग कर रहा है। ब्रह्मोस मिसाइलों का परिचालन रेंज 300-400 किमी के बीच है और यह एक सीमा वृद्धि कार्यक्रम से गुजर रही है जो हमले की त्रिज्या को 150 किमी तक बढ़ाने का प्रयास करती है।

क्षमता में इतनी अधिक वृद्धि से ब्रह्मोस-ए को भारतीय वायुसेना की ओर से बहावलपुर में आतंकी शिविर को तबाह करने के लिए 60 सेकंड का कार्य हो जाएगा, वह भी सीमा पार जाए बिना।

यह पाकिस्तानी वायु सेना के लिए बहुत कम समय छोड़ता है जिसमे कि हमले को रोका जा सके। इस तरह के समावेश के साथ, भारतीय वायुसेना अरब सागर के पानी पर उड़ान भरते समय भी पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला कर सकती है और आवश्यकता पड़ने पर ब्रह्मोस-ए को परमाणु बम के साथ भी गिराया जा सकता है।

ब्रह्मोस कॉर्प द्वारा कंप्यूटर, पोजिशनिंग सिस्टम और प्रणोदक तकनीक के संयुक्त विकास से क्रूज मिसाइलों को पिनपॉइंट सटीकता के साथ लक्ष्य पर प्रहार करने की क्षमता मिलती है, जो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी सीमा पार से आतंकवाद विरोधी हमले को अंजाम देने में सक्षम बनाता है, जिससे किसी भी संपार्श्विक क्षति से बचा जा सके।

IAF 2020-21 तक सुखोई Su-30MKI के दो स्क्वाड्रन ब्रह्मोस-ए में लाने की योजना बना रहा है। इस तरह के अतिरिक्त को पाकिस्तान के सभी कमांड और नियंत्रण केंद्रों को अपनी त्रि-सेवाओं, परमाणु शस्त्रागार और विनिर्माण इकाइयों, आतंक केंद्रों और सामरिक परिसंपत्तियों जैसे बांधों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर लाना चाहिए; भारतीय वायुसेना की हमला क्षेत्र के भीतर।

ब्रह्मोस का एक दुबला और अर्थपूर्ण संस्करण, सभी संभावना में, एक मानक एयर-टू-सतह मिसाइल के रूप में नौसेना के मिग -29 के, राफेल्स, मिराज -2000 और तेजस को फिट किया जाएगा। MTCR में भारत के प्रवेश ने ब्रह्मोस की सीमा को 800 किमी तक बढ़ाना संभव बना दिया है। जो निकट भविष्य में हो ही जायेगा।

चीन के लिए किरकिरी:

विदित हो कि वियतनाम जैसे चीन के कई पड़ोसी देश इस मिसाइल को भारत से खरीदने की कोशिश कर कर रहे है परंतु भारत पहले अपनी खुद की जरूरते पूरी करने पर बल दे रहा है। हालांकि इस मिसाइल के कारण भारत इस छेत्र में अपना दबदबा बनाए में सफल हुआ है। सुखोई के लेस होने से भारत का इस छेत्र में पुनः उस प्रकार का वर्चस्व स्थापित होगा जैसे कभी इतिहास में था।

भारत के गौरवशाली नोसैनिक इतिहास के बारे में यहां पढ़ें।

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