भारत मे चुनाव एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन से किया जाता है। इस मशीन को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कहते है। इस मशीन को कड़ी प्रक्रिया का पालन कर निष्पक्ष चुनाव कराए जाते है। आइए इस प्रक्रिया को समझे।
रेंडमाइजेशन:
1.चुनाव के समय हर विधान सभा स्तर पर बीयू, सीयू और वीवीपीएटी (ईवीएम मशीनें) रैंडम तरीके से दी जाती हैं। रेंडमाइजेशन की पहली प्रक्रिया ये कहलाती है। जिसमे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि रहते हैं। क्योंकि इस प्रक्रिया के समय तक कई दलों की तरफ से प्रत्याशी घोषित नहीं किये जाते। randomised मशीनें स्कैन की जाती हैं। उनकी लिस्ट बना कर हर राजनीतिक दल को दी जाती है।
2. प्रत्यशियों की घोषणा के बाद दूसरी बार मशीने रैंडमाइजड होती हैं। इस बार किस मतदान केंद्र में कौन सी मशीन का सेट जाएगा। ये डिसाइड होता है। ये प्रक्रिया अभ्यर्थियों या उनके एजेंट्स के सामने होती है। उन्हें इसकी लिस्ट भी दी जाती है।
3. फिर कमीशनिंग होती है जिसमें बैलट पेपर अपलोड किया जाता है। हर मशीन से हर प्रत्याशी को कम से कम एक वोट देकर देखा जाता है। प्रत्याशियों के एजेंट को चुनी हुई 5% मशीन के सेट दिए जाते हैं। जिनमें उनको 1000 वोट डालकर देखना होता है कि मशीन सही काम कर रही है। वो जो चाहें वो मशीन चुन सकते हैं।
4. इसके बाद मतदान के दिन रिज़र्व की मशीनों को भी सेक्टर अधिकारियों को दिया जाता है। ताकि कहीं पर भी मशीन खराब हो तो वो उनको बदल दें।
मतदान का टेस्ट:
5. मतदान के दिन पोलिंग से एक घंटे पहले एजेंट्स की उपस्थिति में मॉक पोल होता है। उनके सामने बटन दबा के मतदान दिए जाते हैं। परिणाम निकाला जाता है। पर्चियां गिनी जाती हैं। इसके बाद मशीनों से परिणाम हटा कर उसे बंद करते हैं। सील लगाते हैं। इस सील पर एजेंट्स के साइन होते हैं। इस सील को तोड़ा या फाड़ा नहीं जा सकता।
शिकायत:
6. अगर किसी मतदाता को मत डालते समय ये लगता है कि उसका मत जिस दल को गया था पर्ची किसी और दल की निकली तो वो शिकायत दर्ज करा सकता है। पूरे देश मे एक शिकायत दर्ज नहीं होती।
पर्ची की गणना:
7. मतगणना के बाद रैंडम तरीके से लाटरी के माध्यम से चुनी गई 5 वी वी पैट मशीनों की पर्चियों की गणना की जाती है। ताकि सीयू से प्राप्त परिणामों और पर्चियों की तुलना की जा सके। अगर पर्चियों की संख्या में अंतर आता है तो पुनर्मतदान की व्यवस्था की जाती है।
विदित हो कि 2019 चुनाव में एक भी पर्ची में ग़लती नही निकली।
8. जिन मशीनों में मत डलते हैं उन्हें स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। जहां पर सीएपीएफ के जवान रहते हैं। जो अनुपयुक्त मशीने होती हैं उन्हें अलग रखा जाता है। उनको जमा करना भी जरूरी नहीं होता।
लोग इन्हीं की फ़ोटो दिखा कर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर अफवाह फैलाने का केस दर्ज होना चाहिए। यह उन लाखों कर्मचारी जो महीनो तक भूखे प्यासे रात रात भर ड्यूटी करते है, उनका अपमान है। आखिर मशीनों के साथ लोग जुड़े है। यह कहना कि मशीने हाच हो गई है का मतलब वह लाखों लोग बेईमान है।
बिडम्बना यह है किबये आरोप वह लोग लगा रहे है जिनके घर से या पार्टी के नेता या तो जेल में है या बेल पर है।