मोदी ने सब बर्बाद कर दिया भारत को!

एक व्यतान्त:

कुछ दिनों पहले में ट्रेन से जा रहा था आस पास बैठे लोगों से बातचीत करने की आदत के चलते सामने बैठे एक कानवेंट एजूकेटेड , कूल डूड से दिखने वाले नवयुवक से जैसे ही मैंने राजनीति के विषय पर चर्चा शुरू की….उसने तत्काल..अपनी राजनीतिक समझ दर्शित करते हुए बोला कि ..अरे मोदी ने सब बर्बाद कर दिया ..।
मेरे उत्सकता जगी …तो मै पूंछ बैठा कि …स्पष्ट रुप से मुझे बताओ कि क्या क्या बर्बाद किया …? एक एक करके !

अर्थशास्त्र:

तो बोला पहले तो देश की इकोनामि बर्बाद कर दिया ! मै बोला अच्छा ! ..अच्छा ये मुझे ये बताओ कि देश की बर्बाद इकोनॉमी के क्या लक्षण होते हैं ? मतलब कि अगर देश की इकोनामी बर्बाद हो जाये तो क्या ..सिचुयेसन उत्पन्न होती हैं ??
अब वो मुझे देखने लगा ! फिर बोला कि ..”अरे ऐसा बहुत से अर्थशास्त्री कहते हैं !”
मैने कहा दूसरे अर्थशास्त्री को छोड़ो …तुम बताओ कि तुमने देश में ऐसा क्या आब्जर्व किया कि जिसके आधार पर कह सको कि देश की इकोनामी बर्बाद हो गयी ?

सेना खत्म:

तो चुप रहा …फिर बोला का मिलिट्री को बर्बाद कर दिया मोदी ने ! बहुत से जवान मर रहे हैं !
मैने कहा ..मिलिट्री पर बात में बताना …पहले बर्बाद इकोनामी के लक्षण तो बता दो ?
वो शांत रहा ..बस मुझे ऐसा देखने लगा जैसे मै एकदम गवांर हू !
फिर मैने ही आगे बात बढ़ते हैं पूंछने लगा कि —
क्या देश मे इंफ्लेशन दर बढ़ गयी है ?
क्या सरकार के पास आयात बिल को पूरा करने के लिए धन नहीं है ?
क्या सरकार का टैक्स कलेक्शन पहले की तुलना में कम आ रहा है ?
क्या आवश्यक वस्तुओ की सप्लाई नहीं हो पा रही हैं ?
क्या कम सप्लाई के कारण इन वस्तुओ के मूल्य बढ़ गये है ?
क्या सरकार के पास धन की कमी के कारण सरकार द्वारा आधारभूत संरचनाओ जैसे रोड सड़क आदि पर खर्च नहीं किया जा रहा है ?
क्या सरकार के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिये पैसे नहीं है ??
किसी बर्बाद इकोनामी के यही लक्षण होते हैं …तो बताओ कि इनमे से कौन सा लक्षण देश में उत्पन्न हो गया है ?
दूसरी और कार्पोरेट टैक्स से लेकर जी.एस.टी तक का कलेक्शन पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ा है !
अगर देश की इकोनामी बर्बाद हो गयी होती ..जैसा बोल रहे हो …तो सरकार को टैक्स से मिलने वाले टैक्स की राशि में बढ़ोत्तरी होती ??
हर समय दूसरे ..स्व-घोषित अर्थशास्त्री या ..फारेन‌ मे पढ़े या फ्रस्टेड कागजी अर्थशास्त्रियों की ही न सुना करे …अपना भी दिमाग लगाया करे !

सेना मरे की नागरिक:

वो इस पर आगे कुछ न बोला ! मैने कहा अब दूसरी बात बोलो ..हा क्या कह रहे थे कि सेना के जवान मर रहे हैं ? वो बोला हां
क्या आप इस बात से इंकार करते हैं कि हम पर दुर्भाग्यवश छद्म युद्ध में थोप दिया गया है ?
और इस छद्म युद्ध में न चाहते हुए भी लड़ना पड़ रहा है ! ये कोई आज की समस्या नहीं है ! बहुत वर्षो से हैं !
इस छद्म युद्ध में हमे या तो संगठित सेना के माध्यम से लड़ना पड़ेगा या सामान्य नागरिक को मरने के लिये छोड़ दे ! छद्म युद्ध में सेना को लड़ने के लिये उतारा गया है।
सेना के जवान आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुये हैं ! अब अगर सेना के जवानों को आतंकवाद से लड़ाई में फ्रंट मे न रखकर ..सुरक्षित बैरको मे रख दिया जाये …तो सेना के जवान तो सुरक्षित रहेंगे …लेकिन अनगिनत नागरिक उसी तरह मारे जाते रहेंगे जैसे मुम्बई हमले में , वाराणसी , अयोध्या , पूना हैदराबाद , दिल्ली यहाँ तक की बुलंदशहर तक मे आतंकी हमलों में साधारण नागरिक मारे गये थे।
अब सेना के सभी जवान पंजीकृत होते हैं ! इनकी शहादत को छुपाया नहीं जा सकता ..लेकिन साधारण नागरिको के शवो को इधर उधर फेक कर गिनती कम दिखाई जा सकती हैं ! फिर कोई सरकार अपनी ये अचीवमेंट बताये कि हमारे राज में सेना के जवान कम मारे गये ?? ये चाहते हो ?? मुम्बई हमलों से लेकर वाराणसी तक के आतंकी हमले में मारे गये साधारण नागरिको के तो शव गिनोगे नहीं ..। तो तुम्हें शवो की गिनती कम ही लगेगी …और इसे अपनी अचीवमेंट बया दोगे ?? हैं न ??
वो कुछ न बोला …मैने कहा कि भाई जब देश के नागरिको की सुरक्षा के लिये सेना को फ्रंट पर लाया गया है…तो जाहिर सी बात है कि साधारण नागरिक की बजाय सेना के जवान शहीद होंगे ..! आतंकियो के रास्ते से सेना को हटा दो ..तो सेना के जवान कम शहीद होंगे !
आतंकियो की मांग मानते हुए सेना हटा दो तो नयी मांग शुरू होने तक सेना के जवान शहीद ही नहीं होंगे ? ऐसा करेगी क्या आपकी आदर्श की सरकार ??
वो कुछ उत्तर नहीं दिया शांत ही रहा !

फिर बोला कि ….मेरे कहने का ये मतलब नहीं था ! मेरा कहने का मतलब है कि सेना को सुरक्षा बढ़ाई जाये !
मैने पूंछा कि सेना की शुरक्षा के लिये और एक सुरक्षा सेना बना दिया जाये क्या ?? फिर उस दूसरी सेना की सुरक्षा के लिये तीसरी सेना ?? ये क्या बात हुई !?

राफाल प्रकरण

फिर वो कूल डूड ..अंग्रेज़ी अखबार में छपा राफेल वाला लेख बताने लगा और बोला की “तीन अधिकारियों के डिसेंट के बावजूद भी मोदी ने राफेल खरीद लिया ! तो जरूर कुछ न कुछ घोटाला है।
मैने कहा …जिस कमेटी में सात लोग हो ..और बहुमत कुछ निर्णय करता हैं और अल्पमत कुछ ..तो सरकार किसकी बात मानेगी ?? जब कमेटी में बहुमत से निर्णय लिया गया ..तो डिसेंट मत का उल्लेख करके किसी निर्णय को घोटाला घोषित कर दोगे ?? ऐसा होने लगे तो सुप्रीम कोर्ट के तमाम निर्णय घोटाला घोषित किया जाने लगेगा !

वो शांत ही रहा ..और फिर खुद को किसी किताब पढ़ने में व्यस्त दिखाने लगा।

ऐसे बहुत से लोग हैं जिनमें स्वयं अवलोकन करने की छमता मानो नष्ट हो चुकी हैं। हमारी शिक्षा पद्यति ही सबको रटना ओर परीक्षा में उड़ेल देना सिखाती है। सुनी सुनाई पर यकीन करना इसी प्रणाली का ही परिणाम है।

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