काबुल में पानी का संकट

अफगानिस्तान की राजधानी में सूखा:

काबुल में पानी का घोर संकट चल रहा है। बरसात में लगभग 40 प्रतिशत की कमी हुई है। अफगानिस्तान पानी के लिए काबुल नदी और उसके सहायक नदियों पर आश्रित है। यह नदिया अफगानिस्तान और पाकिस्तान बॉर्डर्स पर है और इनपर दोनो देशो में कोई समझौता नही है।
काबुल नदी वर्ष के अधिकांश हिस्से में एक छोटी धारा से अधिक नही होती है, लेकिन हिंदू कुश रेंज में बर्फ के पिघलने के कारण गर्मियों में यह बहुत बड़ी नदी बन जाती है।

नई बांध परियोजना:

काबुल नदी अफगानिस्तान में काबुल, सुरोबी और जलालाबाद शहरों से गुजरती है, जो पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा में बहने से पहले तुर्कम में डूरंड लाइन सीमा के उत्तर में लगभग 25 किलोमीटर (16 मील) की दूरी पर है। खैबर पख्तूनख्वा में, नदी पेशावर, चारसड्डा और नोहशेरा शहरों से होकर गुजरती है।

सूखे से निबटने के लिए अफगानिस्तान जल्दी ही काबुल के चाभार, असिब जिले में, काबुल नदी की एक सहायक नदी, मैदन पर, शहतूत बांध पर काम शुरू होने वाला है। बांध 20 लाख काबुल निवासियों के लिए 1460 लाख क्यूबिक मीटर पीने योग्य पानी रखेगा और 4,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करेगा।

शाहतूत बांध काबुल के बाहरी इलाके में देह सब्ज़ नामक एक नए शहर के लिए पीने का पानी भी प्रदान करेगा। अफगानिस्तान आखिरकार, विनाशकारी युद्धों के दशकों के बाद, अपनी अर्थव्यवस्था और पनबिजली से बिजली विकसित करने के लिए शुरू करने की स्थिति में है।

लेकिन इस महत्त्वाकांक्षी विकास से पाकिस्तान में डर पैदा हो रहा है कि नया बांध काबुल नदी के प्रवाह को बदल देगा और पाकिस्तान में पानी के प्रवाह को कम कर देगा, जिससे देश के भविष्य में पानी की पहुंच सीमित हो सकती है। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट डॉन ने बताया है कि शहतूत बांध और अन्य नियोजित बांधों के पूरा होने के बाद जल प्रवाह में 16 से 17 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s