सच का तो सिर्फ ऊपर वाले को पता हो पर कुछ लोगों का विश्लेषण इस प्रकार है:
सारी लड़ाई चांदनी चौक के मुस्लिम बाहुल्य छेत्र की है। दोनों इस छेत्र को छोड़ना नही चाहते। तो बताओ अब गठबंधन कैसे हो। इसके लिए केजरीवाल ने चंडीगढ़ और हरियाणा भी बीच मे डाल दिया है।
जिस प्रकार दिल्ली की लोक सभा सीटो का बटवारा होगा उसी प्रकार विधान सभा की सीटों का भी भविष्य में बटवारा हो सकता है।
विधानसभा की सीटो में दूसरा पेच है। केजरीवाल ने कुछ विधान सभा सीटों में जो अनाधिकृत कॉलोनी है, में कुछ काम किये है। केजरीवाल इन सीटों से अगली विधान सभा का चुनाव लड़ना चाहते है ताकि भले हाशिये पर आ जाये पर दूध की मक्खी की तरह बाहर न फेंके जाए।
राहुल अभी भी नासमझ है और एक चुनाव से ज्यादा की नही सोच पा रहे। शीला जी अत्यंत धुरंधर राजनीतिज्ञ है। वह केजरीवाल का सफाया देखना चाहती है भले ही इस चुनाव में कुछ नुकसान हो जाये।